पिता पुत्र खच्चर के साथ कहीं जा रहे थे. थोड़ी दूर जाने पर पिता ने बेटे को खच्चर पर बैठा लिया . तभी उधर से गुजरने वाले लोगों ने कहा ,कैसा नालायक बेटा है, खुद खच्चर पर बैठा है और बाप पैदल चल रहा है. बेटा उनकी बात सुनकर खच्चर से उतरकर अपने पिता को बैठा देता है. थोड़ी दूर जाने पर कुछ और लोग मिलते हैं तथा बोलते हैं, कैसा पिता है, खुद आराम से खच्चर पर बैठा है और बेटे को पैदल चला रहा है. पिता ने जब सुना तो वह अपने बेटे को भी खच्चर पर बैठा लेता है. थोड़ी और आगे जाने पर कुछ लोग मिले और कहने लगे, अरे! तुमलोग कैसे इन्सान हो? दोनों इस खच्चर पर बैठे हो, बेचारे खच्चर की जान लोगे क्या? यह सुनकर दोनों बाप बेटे उतरकर पैदल चलने लगते हैं. रास्ते में फिर उन्हें एक आदमी मिलता है और बोलता है, कितने नासमझ हो तुमलोग, खच्चर होते हुए पैदल चल रहे हो! .... इस कहानी से क्या शिक्षा मिली?
हमें दूसरों की बातों पर ध्यान देने के बजाय अपने काम ध्यान देना चाहिए. लोग हमेशा कुछ न कुछ कमेन्ट करते रहेंगे... ravindra.viert@gmail.com
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