Friday, 6 May 2016

आखिर मंजिल तो तेरी यही थी, देर कर दी तुने आते आते ! अपनो नें ही तुम्हें जला डाला, इस जहाँ से जाते जाते ! ...... ...... (मेरे एक मित्र हिमांशु राय जी के द्वारा बोले गए स्पीच का अंश)

आखिर मंजिल तो तेरी यही थी,
देर कर दी तुने आते आते !
अपनो नें ही तुम्हें जला डाला,
इस जहाँ से जाते जाते !
......
...... (मेरे एक मित्र हिमांशु राय जी के द्वारा बोले गए स्पीच का अंश)

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